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Speech by Miss Kajal Sah || About Universal Unity || Trade Unions in the world ||


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कविता : मत मारो जानवर को

 रात को जागे, सोचे कि भोज मिले

ना मिले तो, खाली पेट सोये

मुँह होते हुए भी किसी को

दुख ना बता पाए

सोचे कि आज नाह मिला

तो कल मिल जाये

यह जानवर ही तो होये

दूरा - दूरा जाये, मांगे सब से खाना

कोई यहाँ से मारे, कोई वहां से मारे

म्यांऊ - म्यांऊ करके

चुप हो जाये

रात को भूखे पेट ही

सो जाये

ना - शरमाए इंसान मारे में,

खाये उसे चीर  - फारकर

कभी सोचे कि वह भी

होये किसी के लाल

खाके इंसान बोले कि

बड़ा मज़ेदार।

 धन्यवाद: काजल साह : स्वरचित


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