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The history of India is incomplete without Lachit

लाचित के बिना भारत का इतिहास अधूरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपनी विरासत का जश्न मनाकर और औपनिवेशिक काल के दौरान साजिश के तहत लिखे गए इतिहास के पन्नों में खोए अपने गुमनाम बहादुरों को याद करके अपनी पिछली गलतियों को सुधार रहा है उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास वीरता का रहा है, लेकिन इसे जान-बूझकर दबा दिया गया, जबकि जरूरत आजादी के बाद भारत को गुलाम बनाने वाले विदेशियों के एजेंडे को बदलने की थी  

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The history of India is incomplete without Lachit



मोदी यहां स्थित विज्ञान भवन में पूर्ववर्ती आहोम साम्राज्य के जनरल लाचित बरफुकन की 400वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रमों के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मैं असम की उस महान धरती को प्रणाम करता हूं जिसने मां भारती को लाचित जैसे वीर दिए हैं 

लाचित जैसे वीर से भारत की धरती धन्य है 

लाचित जैसे वीर से भारत की धरती धन्य है ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस कार्यक्रम से जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ मैं इस अवसर पर असम की जनता और समस्त देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं है भारत का इतिहास योद्धाओं का इतिहास है, अत्याचारियों के विरूद्ध अभूतपूर्व शौर्य और पराक्रम दिखाने का इतिहास है भारत का इतिहास वीरता की परंपरा का रहा है उन्होंने कहा कि लेकिन दुर्भाग्य से हमें आजादी के बाद भी वही इतिहास पढ़ाया जाता रहा, जो गुलामी के कालखंड में साजिशन रचा गया था

देश के कोने-कोने में भारत के सपूतों ने आतताइयों का मुकाबला किया, लेकिन इस इतिहास को जान-बूझकर दबा दिया गया प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद जरूरत थी कि गुलाम बनाने वाले विदेशियों के एजेंडे को बदला जाता, लेकिन ऐसा नहीं किया गया उन्होंने लचित बरफुकन की वीरता का उल्लेख करते हुए सवाल किया कि क्या उनका शौर्य मायने नहीं रखता और क्या देश की संस्कृति पहचान के लिए मुगलों के खिलाफ युद्ध में लड़ने वाले असम के हजारों लोगों का बलिदान कोई मायने नहीं रखता?

उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं कि अत्याचारों से भरे लंबे कालखंड में अत्याचारियों पर विजय की भी हजारों गाथाएं हैं जय, त्याग और तर्पण की गाथाएं हैं इन्हें इतिहास की मुख्यधारा में जगह ना देकर पहले जो गलती हुई, अब देश उसे सुधार रहा है मोदी ने कहा कि लचित बरफूकन की जयंती को मनाने के लिए दिल्ली में किया गया यह आयोजन इसी का प्रतिबिंब है

अमर ज्योति अमर बनी रहती है, प्रधानमंत्री ने कहा

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश आज गुलामी की मानसिकता को छोड़ अपनी विरासत पर गर्व करने के भाव से भरा हुआ है और भारत ना सिर्फ अपनी सांस्कृतिक विविधता का उत्सव मना रहा है, बल्कि अपनी संस्कृति के ऐतिहासिक नायक-नायिकाओं को भी गर्व से याद कर रहा है मोदी ने कहा कि बरफूकन ऐसे वीर योद्धा थे, जिन्होंने दिखा दिया कि हर आतंकी का अंत हो जाता है, लेकिन भारत की अमर ज्योति अमर बनी रहती है

उन्होंने कहा कि बरफूकन का जीवन देश के सामने उपस्थित कई वर्तमान चुनौतियों का डटकर सामना करने के साथ ही यह प्रेरणा भी देता है कि परिवारवाद, भाई-भतीजावाद नहीं, बल्कि देश सबसे बड़ा होना चाहिए इससे पहले, प्रधानमंत्री ने बरफुकन की 400वीं ह‍ जयंती के उपलक्ष्य में यहां लगाई गई प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया

इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा, राज्यपाल जगदीश मुखी और केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे ज्ञात हो कि लचित बरफुकन के 400वें जयंती वर्ष समारोह का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसी साल फरवरी में असम के जोरहाट में किया था लचित बरफुकन असम के पूर्ववर्ती आहोम साम्राज्य में एक सेनापति थे सराईघाट के 1671 के युद्ध में उनके नेतृत्व के लिए उन्हें जाना जाता है इस युद्ध में औरंगजेब के नेतृत्व वाली मुगल सेना का असम पर कब्जा करने का प्रयास विफल कर दिया गया था


कृपाये इसको भी पढ़िए: RAJTANTRA in Hindi and English | Monarchy

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