लखनऊ में 2 अक्टूबर को फहराया था सबसे बड़ा तिरंगा
जानते हैं तिरंगा फहराने के नियम क्या हैं:
- तिरंगे को हमेशा सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता है।
- तिरंगे को कभी जमिन पर नहीं रखा जा सकता है।
- झंडे को कभी झुकाया नहीं जाता। ...
- झंडे को कभी पानी में नहीं डुबोया जा सकता।
- झंडे को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुचाया जाता है।
क्योंकि इस दिन ला मार्टिनियर कॉलेज के मैदान में सबसे बड़ा तिरंगा फहराया था । यह झंडा 194X129.33 फुट लंबा हैं और इसका वजन 209 किलोग्राम था । यह झंडा लिम्का बुक में रिकॉर्ड दर्ज करा चुका है।
उत्तर प्रदेश के एक संगठन द इंडियन फाउंडेशन ने यह ध्वज तैयार किया था ।
संगठन के सचिव ने कहा था कि ध्वज का बड़ा होने की वजह से एक गर्म हवा वाले गुब्बारे का इस्तेमाल किया गया था । उन्होंने कहा था कि यह पहली बार होगा जब यह ध्वज फहराया जाएगा।
खान ने बताया कि इस ध्वज को बनाने में 56 दिन लगे थे। इंडिया फाउंडेशन और एक अन्य संगठन के दर्जियों ने मिलकर यह ध्वज तैयार किया था । उन्होंने बताया कि इस ध्वज के बीच बना अशोक चक्र बनारस हिन्दू विश्वविद्याल के छात्रों द्वारा तैयार किया गया था।
2 अक्टूबर के ऐतिहासिक दिन पर ला मार्टिनियर कॉलेज में सभी लोगों के लिए खुला रहेगा। यह ध्वज सुबह फहराया गया था और शाम को उतार लिया था ।
खान ने कहा कि हम योजना बना रहे है कि इस झंडे को अलग-अलग शहरों में ले जाए और वहां जाकर इसे फहराया ताकि देशभर के लोग इसे बड़े ध्वज को देख सके। ध्वज हर भारतीय के भीतर देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावना पैदा करता है और हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग इस झंडे को देख सके।
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