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मुझे इंसाफ चाहिए , काजल साह : स्वरचित

I Want Justice, Kajal Sah
कविता : मुझे इंसाफ चाहिए , काजल साह : स्वरचित:©Provided by Bodopress/Kajal Sah 
                                                                                            

I want justice, It is often a way to strive for some benefit for ourselves, disguised as fairness. It only encompasses half the story.

कविता : मुझे इंसाफ चाहिए, 

काजल साह : स्वरचित   

May 16, 2021


**मुझे इंसाफ चाहिए**

रो रही हुँ, मैं

खुद के जिंदगी पर

दर्द सह रही हुँ

खुद की जिंदगी का

फाड़ डाला है, मेरा वस्त्र

उन दरिंदो ने

अपने शौक पूरा करने के लिए

माँ ने पाला था, मुझे

बड़े प्यार से

पिता ने किया था मेरी

सारी इच्छाओं को पूरा

डर सा लग रहा है, अब

मुझे गिरकर फिर से उठाने में

फिर भी मैं उठूंगी

दरिंदो को सजा दूंगी

मैं इंसाफ लुंगी

हर बेटी को सीख दूंगी

ना डरना है, तुझे किसी से

खड़ा होना है, अपने पैरों पर

मुझे इंसाफ मिलेगा तो...

तुझे भी अपने हक़ के लिए लड़ना होगा।


***धन्यवाद : काजल साह : स्वरचित***


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