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खींची गई है,लक्ष्मण रेखा, मेरे सपनों को मार कर, छा गया है अंधेरा


खींची गई है,लक्ष्मण रेखा, मेरे सपनों को मार कर, छा गया है अंधेरा

(Lakshman Rekha (Sanskrit:लक्ष्मण रेखा), in some later versions of Ramayana, is a line drawn by Lakshmana around the dwelling he shares with his brother Rama and Rama’s wife Sita at Panchavati in the forest of Dandakaranya which now part of the city of Nashik in Maharashtra.)

कविता : खींची गई है लक्ष्मण रेखा

काजल साह : स्वरचित

May 16, 2021: 


***खींची गई है लक्ष्मण रेखा***


खींची गई है,लक्ष्मण रेखा

मेरे सपनों को मार कर

छा गया है अंधेरा

मेरे दुखों को देखकर

ना निकल पाऊगी मैं

कभी लक्ष्मण रेखा से?

दर्द को घुट - घुट कर पी जाऊंगी

इस चार दीवारी में......

किसी ने नहीं समझा मेरी बातों को

और बंद कर दिया मुझे

चारदीवारी में।

चाह पढ़ने की थी पर

ना कर पाई अपनी चाहत को पूरा

इच्छा जाहिर की तो

बंद कर दिया मुझे चारदीवारी में

घुट - घुट के रो रही है, जिंदगी मेरी

अपने माँ - बाप की सोच को देखकर

खींची गई है, लक्ष्मण रेखा

मेरे सपने को मार कर।


धन्यवाद : **काजल साह** 



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