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Do today what you do tomorrow, do now what you do today. पं श्रीराम शर्मा आचार्य

Do what you call today, do what you do today. पं श्रीराम शर्मा आचार्य

Do what you call today, do what you do today. पं श्रीराम शर्मा आचार्य 

◆ काम को कल के लिए टालते रहना और आज का दिन आलस्य में बिताना एक बहुत बड़ी भूल है। कई बार तो वह कल कभी आता ही नहीं। रोज कल करने की आदत पड़ जाती है और कितने ही ऐसे महत्त्वपूर्ण कार्य उपेक्षा के गर्त में पड़े रह जाते हैं, जो यदि नियत समय पर आलस्य छोड़कर कर लिये जाते तो पूरे ही हो गये होते।


◇ जो उन्नति की ओर बढ़ने का प्रयत्न नहीं करेगा, वह पतन की ओर फिसलेगा। यह स्वाभाविक क्रम है। इस संसार में मनुष्य जीवन की दो ही गतियाँ हैं-उत्थान अथवा पतन।  तीसरी कोई भी माध्यमिक गति नहीं है। मनुष्य उन्नति की ओर न बढ़ेगा तो समय उसे पतन के गर्त में गिरा देगा।


◆ हम अपने आपको प्यार करें, ताकि ईश्वर से प्यार कर सकने योग्य बन सकें। हम अपने कर्त्तव्यों का पालन करें, ताकि ईश्वर के निकट बैठ सकने की पात्रता प्राप्त कर सकें। जिसने अपने अंतःकरण को प्यार से ओतप्रोत कर लिया, जिसके चिंतन और कर्तृत्व में प्यार बिखरा पड़ता है, ईश्वर का प्यार उसी को मिलेगा।


◇ दोष दिखाने वाले को अपना शुभ चिंतक मानकर उसका आभार मानने की अपेक्षा मनुष्य जब उलटे उस पर कु्रद्ध होता है, शत्रुता मानता और अपना अपमान अनुभव करता है, तो यह कहना चाहिए कि उसने सच्ची प्रगति की ओर चलने का अभी एक पैर उठाना भी नहीं सीखा।


✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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