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Who is the real enemy of life? जीवन का असली दुश्मन कौन है?

14 Feb 2023: First of all, the real enemy is none other than your anger. You might be in a wonder why anger and why not any person or thing. That's the point right, you treat someone as an enemy only when you have some kind of aggression towards him/ her.

Who is the real enemy of life? जीवन का असली दुश्मन कौन है?
Who is the real enemy of life? जीवन का असली दुश्मन कौन है?


Life is very precious, only by continuous hard work and efforts in life, we can achieve progress of life, in life we ​​should always move forward towards the path of progress, just as the ocean is formed from many drops, in the same way, we can achieve our goals. For, we should achieve our goals by completing small goals and working hard continuously.

The greatest enemy for man is desire as it sparks in its wake attendant ills. For instance, when desire is thwarted, it gives rise to anger and this upsets the balance in one's nature. It tempts us to want for more and more to the extent of forgetting Him. One rarely seeks God for His sake.

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निबंध : जीवन का असली दुश्मन कौन है? The real enemy


जीवन बेहद अनमोल है, जीवन में निरंतर मेहनत और प्रयास करके ही हम जीवन के उन्नति को पा सकते है, जीवन में हमें हमेशा प्रगति पथ की ओर आगे बढ़ना चाहिए, जिस प्रकार कई सारे बूंदो से सागर का निर्माण होता है ठीक उसी प्रकार अपने लक्ष्य के लिए छोटा - छोटा लक्ष्य को पूर्ण करके और निरंतर मेहनत करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति हमें करनी चाहिए।


जीवन का असली दुश्मन कोई व्यक्ति नहीं होता है,हमारे जीवन का असली दुश्मन आलास, बुरी लत इत्यादि गलत कार्य है। लेकिन इन सभी में सबसे खतरनाक आलस है,आलस हमारे जीवन को खोखला कर देता है, हमारे अस्तित्व या पहचान को कभी भी आगे बढ़ने नहीं देता है। मनुष्य एक चमकतारी प्राणी है, जो हर असंभव कार्य को संभव बना सकते है, जिसके हाथ में यह पूरी ब्रह्माण्ड है, मानव ने अपने मेहनत, बुद्धि और प्रयासों से पुरे दुनिया को स्वर्ग बनाया है, मानव के अंदर हर अच्छे से बुरे कार्य करने की क्षमता होती है।

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आज हम सभी 21 वीं सदी में जीवन यापन कर रहे है, यह युग तकनीकी पर आधारित बन चूका है, आज हमारा जीवन बेहद सुविधापूर्वक बन चूका है। आज मानव केवल उपभोक्ता बन रहे है, जिसके कारण उनका सबसे बड़ा दुश्मन आलस बन चूका है। आलस कहने का तात्पर्य - काम को टालना, बहाने करना इत्यादि। आलस हमारे आने वाले सुंदर जीवन का विनाशकर्ता है, जो हमारे पहचान को कभी भी अलग पहचान नहीं बनने देता है, हमारे कौशलता, हमारे गुणों को, हमारे सकरात्मक विचार इत्यादि सारे अच्छे गुणों का आलस विनाश कर देता है।


The real enemy: आलस एक ऐसा कीड़ा है जो हमारे सपनें, लक्ष्य इत्यादि का नाश कर देता है, जीवन में आने वाले सारे मौके,फायदे, सपनें सब आलस हमसे छीन लेता है, इसलिए जब तक आलस समीप है तब तक सपना दूर है, जब आलस का अंत है तब सपनों की जीत आरम्भ है, इसलिए आलस को मिटाकर हमें हमेशा कर्तव्य के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए।


आलस के नुकसान :

आलस के प्रभाव से हमारे जीवन में बहुत नुकसान पहुंचता है।

1. सपनें का अंत

2. मौका का खो जाना

3. कर्तव्यहीन

4. मेहनत और प्रयास लुप्त

5. सफलता से दुरी

6. अस्वस्थ्य

7.समय की बर्बादी

8. जीवन में ऊर्जाहीन रहना

इत्यादि।


आलस नमक दुश्मन का अंत केवल कठिन परिश्रम ही कर सकता है।जीवन के उन्नति को पाने के लिए हमें हमेशा समय का सदुपयोग करना चाहिए, जिसे हमारा सुन्दर और विकसित चरित्र का निर्माण होगा।

आलस मनुष्य को क्यों आता है?

1. निद्रा की कमी के कारण

2. थकावट के कारण

3. बहाने के कारण

4. अस्वस्थ्य भोजन का सेवन

5. मेहनत का दुश्मन मानना

6. अत्यधिक नशीले पदार्थ का सेवन

7. अत्यधिक तनाव

इत्यादि कारणों से आलस मनुष्य को आता है और आलस का निवारण है निरंतर प्रयास और मेहनत को मित्र मान लेना।

       आलस कों मिटा

अपने  सपनों की उड़ान उड़ा

धन्यवाद : काजल साह :स्वरचित


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