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भारत में ऊर्जा प्रबंधन: भारत ऊर्जा संवितरण में विश्व के अग्रणी देशों में से एक है

Energy Management in India
 भारत ऊर्जा संवितरण में विश्व के अग्रणी देशों में से एक सफलता हासिल की है

New Delhi:  भारत में ऊर्जा प्रबंधन: भारत ऊर्जा संवितरण में विश्व के अग्रणी देशों में से एक है, केंद्रीय विद्युत और एमएनआरई मंत्री श्री आर.के सिंह ने आज नई दिल्ली में हो रही स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (सीईएम) - मिशन इनोवेशन (एमआई) वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में आयोजित "इंडिया एनर्जी स्पॉटलाइट" सत्र की अध्यक्षता की।

अपने मुख्य भाषण में, श्री आर के सिंह ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में, हमारी प्रमुख चिंताएं जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरण का निम्नीकरण हैं और ऐसी समस्याओं को हल करने का एकमात्र तरीका ऊर्जा संवितरण है। हम ऊर्जा प्रेषण के रास्ते पर चल रहे हैं और अपने देश को बिजली की कमी से जूझने के बाद अब विद्युत अधिशेष तक लाने में सफल रहे हैं। श्री सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री का भी यही कहना है, भारत ऊर्जा संवितरण में विश्व के अग्रणी देशों में से एक के रूप में उभरा है और यह बात अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में हमने जो विकास की सफलता हासिल की है, उससे स्पष्ट होती है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि हम उत्सर्जन की तीव्रता को काफी हद तक कम करने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऊर्जा दक्षता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमने वाणिज्यिक एवं आवासीय भवनों में ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ईसीबीसी) और इको निवास संहिता (ईएनएस) जैसी कई पहल की हैं। श्री सिंह ने कहा कि इस तरह के कदमों से हम उन मील के पत्थरों से काफी आगे निकल गए हैं, जिन्हें हमने इन वर्षों में हासिल करने का वादा किया था।

कार्यक्रम की शुरुआत विद्युत मंत्रालय के अपर सचिव के स्वागत भाषण से हुई, इसके बाद विदेश मंत्रालय के अपर सचिव और भारत जी20 सूस शेरपा का संबोधन हुआ। बैठक को संबोधित करते हुए, विद्युत मंत्रालय के सचिव ने भारत के स्वच्छ ऊर्जा संवितरण के लिए उपलब्धियों और लक्ष्यों का विवरण दिया।

 इस कार्यक्रम में 29 देशों के 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। केंद्रीय मंत्री श्री आर.के. सिंह ने स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र, कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता, अपतटीय पवन तथा बैटरी भंडारण को कम करने के लिए भारत के रोडमैप पर प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की।

भारत में ऊर्जा 31 मार्च 2013 को विद्युत उत्‍पादन केन्‍द्रों की कुल अखिल भारतीय संस्‍थापित क्षमता 2,23,343.60 मेगावाट थी और मांग 1,35,453 मेगावाट थी। २०२० के दशक की आरम्भ तक भारत सभी को बिजली और स्वच्छ भोजन-निर्माण की सुविधाएं पहुंचाने में सफल रहेगा।


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