काजल साह |
निबंध, लेखक के व्यक्तित्व को प्रकाशित करने वाली ललित गद्य-रचना है।
निबंध का स्वरूप : ___ निबंध का मौलिक अर्थ है बाँधना । नि + बंध (बाँधना) । निबंध का प्रयोग लिखे हुए भोज पत्रों को सँवार कर बांधने या सीने की क्रिया के लिए भी होता था, परन्तु कालांतर में अर्थ संकोच के रूप में केवल साहित्यिक कृति के लिए इसका प्रयोग किया जाने लगा।
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार संस्कृत में भी निबंध का साहित्य है। ... निबंध, लेखक के व्यक्तित्व को प्रकाशित करने वाली ललित गद्य-रचना है। इस परिभाषा में अतिव्याप्ति दोष है। लेकिन निबंध का रूप साहित्य की अन्य विधाओं की अपेक्षा इतना स्वतंत्र है कि उसकी सटीक परिभाषा करना अत्यंत कठिन है।
निबंध 3 प्रकार के होते हैं
भावनात्मक - भावनात्मक निबन्ध में भाव की प्रधानता होती है। विचारणात्मक -विचार्नात्मक निबंध में विचारो की प्रधानता होती है। वर्णनात्मक - वर्णनात्मक निबंध में वर्णों की प्रधानता होती है।
हिंदी निबंध साहित्य का प्रारंभ भारतेन्दु युग से होता है। 'लेवी प्राण लेवी' (1870) नामक रचना से निबंध लेखन की शुरूआत मानी जाती है। ... सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, साहित्यिक आदि सभी प्रकार के विषयों पर निबंध लिखे गए। शैली की दृष्टि से वर्णनात्मक, विवरणात्मक, भावात्मक आदि सभी शैलियों का प्रयोग विषयानुरूप किया गया।
निबन्ध में क्या हो -
1. विद्यार्थी अपने विचारों को एकत्र करना सीख पाए।
2. विचारों को संतुलित तरीके से व्यक्त कर पाएं।
3. भाषा को उपयुक्त रूप से प्रयोग करना सीख पाएं।
4. किसी भी विषय पर छात्रों के स्वयं के विचार हों।
5. उनका वैचारिक स्तर निश्चित हो सके।
6. संवेदनात्मक व वैचारिक स्तर पर परिपक्व हो सके।
7. वे अपने विचारों को सकारात्मक दिशा दे पाए।
8. अपने विचारों को दृढ़ता से रखना सीख सके।
9. आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सके।
10.रटन्तू तोता न बन विचारशील प्राणी बन सके।
निबन्ध लिखते हुए छात्रों को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए -
1) निबंध के विषय पर अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करें, इसके लिए आप इन्टरनेट और पुस्तकालयों की मदद ले सकते हैं। आप अपने शिक्षक से भी विषय सम्बंधित किताबों या लेखों के बारे में जानकारी ले सकते हैं। यदि आप किसी परिभाषा या वक्तव्य को प्रयोग करना चाहते हैं तो उसे लिख लें और उसका स्रोत भी नोट कर लें। विशेषकर आपकी सोच को बल देती महापुरुषों की उक्तियाँ अवश्य लिख कर याद कर लें।
ध्यान रहे कि अध्यन करने के पीछे का उद्देश्य चीजों को रटना नहीं बल्कि अपने ज्ञान को बढ़ाना और अपनी एक सोच विकसित करना है।
2) पहले से लिखे उत्कृष्ट निबंधों का अध्यन करें। ऐसा करते हुए आपको एक अच्छे निबन्ध के प्रारूप को समझना है। यहाँ यह भी ज़रूरी नहीं कि आप उसी विषय पर निबंध पढ़ें जिसपर आपको खुद लिखना है, आप किसी भी विषय पर लिखा अच्छा निबंध पढ़कर अपना लेखन सुधार सकते हैं।
3) अपने विषय को लेकर आपने जो विचार बनाए हैं उसकी अपने मित्रों या परिवारजनों से चर्चा करें। चर्चा से निकले प्रमुख बिन्दुओं को नोट कर लें और सही हो तो उनका निबंध में प्रयोग करें।
4) निबन्ध लिखने से पहले उसकी एक रूपरेखा बना लेंः आरम्भ, मध्य व अंत मे क्या-क्या लिखना है सोच लें और किसी अन्य पेज पर बुलेट पॉइंट्स में लिख लें।
5) निबंध की भाषा सरल व स्पष्ट हो।
6) लेखन शुद्ध , त्रुटि रहित हो।
7) रटा-रटाया न होकर मौलिक विषय-वस्तु हो।
8) अपने अनुभवों पर आधारित हो।
9) हर तथ्य क्रम में हो मसलन समस्या का अर्थ, कारण, दूर करने के उपाय ओर अंत मे उपसंहार-सभी बातें उचित क्रम में हों।
10) अनावश्यक विस्तार से बचें।
11) तथ्यों की पुनरावृत्ति न करें .
12) शीर्षक व उपशीर्षक को रेखांकित करें।
13) विषय से संबंधित किसी प्रसिद्ध कवि या महा-पुरुष की कोई उक्ति स्मृति में हो तो उसे अवश्य लिखें।
14) अंत मे दोबारा पढ़ कर उसमें आवश्यक सुधार करें और वर्तनी पर विशेष ध्यान दें।
इसका तात्पर्य यह है कि निबंध में किन्हीं ऐसे ठोस रचना-नियमों और तत्वों का निर्देश नहीं दिया जा सकता जिनका पालन करना निबंधकार के लिए आवश्यक है। ऐसा कहा जाता है कि निबंध एक ऐसी कलाकृति है जिसके नियम लेखक द्वारा ही आविष्कृत होते हैं। निबंध में सहज, सरल और आडम्बरहीन ढंग से व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति होती है।
धन्यवाद : काजल साह
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