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राज छुपा है, मेरे आँखों में, मेरे चेहरे से मेरा दर्द नहीं पढ़ पाओगे मुझे आदत है हर बात पे मुस्कुराने की

राज छुपा है, मेरे आँखों में, मेरे चेहरे से मेरा दर्द नहीं पढ़ पाओगे मुझे आदत है हर बात पे मुस्कुराने की
राज छुपा है, मेरे आँखों में, मेरे चेहरे से मेरा दर्द नहीं पढ़ पाओगे मुझे आदत है हर बात पे मुस्कुराने की : ©Provided by Bodopress

मेरे चेहरे से मेरा दर्द नहीं पढ़ पाओगे मेरी आदत है हर बात पर मुस्कुरा देना, प्यार बिना जिंदगी का कोई मतलब नहीं तेरे बिना इस दुनिया में मेरा कोई वजूद नहीं.

राज छुपा है, मेरे आँखों में, मेरे चेहरे से मेरा दर्द नहीं पढ़ पाओगे मुझे आदत है हर बात पे मुस्कुराने की
Kajal Sah





कविता : राज

राज छुपा है, मेरे आँखों में

नहीं पहचान पाओगे

मेरी बातों को

गुम हो जाओगे

मेरी तन्हाई के गहराइयों में

उम्र भर खोजते रह जाओगे

मेरे अल्फाजों को

मैं वह कला हूँ

जो कभी मिट नहीं सकती

मैं वो बला हूँ

जो कभी दिख नहीं सकती

नहीं बता पाओगी... अपने राज तुमसे

गुमराह करती रहूँगी

अपने आँखो से

दिखती हूँ, हरदम मैं अकेली

छुपती रहती हूँ, हरदम खुद से

मुश्किल है, मुझे पहचान लेना।

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