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The possibility of corona on human life animation, biology, class 1 speech by Kajal Sah, kolkata: ©Provided by Bodopress |
एक नया दिन
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काजल साह / कविता
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कदम रुकते नहीं मेरे
मंजिल की ओर बढ़ते समय
सांसे थमती नहीं मेरी
कोशिश करते समय
गिरती हूं, भटकती हूं
झुकती हूं, खोजती हूं
पर हिम्मत नहीं टूट पाती है मेरी
सपना झुक नहीं पाता है मेरा
ताने मिलते हैं मुझे
सारे दर्द सह लेती हूं
बाद में मैं ही गलत कहलाती हूं
लोगों का कहना है -
कोयला नहीं बन सकता है हीरा
रगड़ा है जिसने खुद को
वो बन जाता है कुदरत का हीरा
मेहनत करना है तबतक
जबतक कि
पा ना लूं उस मंजिल को
हौसला तोड़ेंगे लोग
पर हिम्मत बुलंद होगी मेरी
पा लूंगी उस मंजिल को
अपने संघर्ष से
और तब होगा ...
एक नया दिन।
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