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कविता : हम बालक
हम प्रभात की नई किरण है,
हम दिन के अलोक नवल।
हम नवीन भारत के सैनिक,
धीर, वीर गंभीर, अचल।
हम प्रहरी ऊँचे हिमगिरी के,
सुरभि स्वर्ग की लेते है।
हम हैं, शांतिदूत धरणी के,
छाँह सभी को देते हैं।
वीर - प्रसू माँ की आँखों के,
हम नवीन उजियाले हैं।
गंगा - यमुना हिन्द महासागर
के हम रखवाले हैं।
हम है, शिवा - प्रताप, रोटियां
भले घास की खाएंगे।
मगर किसी जुल्मी के आगे,
मस्तक नहीं झुकाएंगे।
धन्यवाद
कवि - रामधारी सिंह 'दिनकर '।
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