-->

भारत में दहेज की समस्या क्या है इस समस्या को दूर करने के लिए सुझाव दीजिए? Speech by Kajal Sah

dowry meaning
भारत में दहेज की समस्या क्या है इस समस्या को दूर करने के लिए सुझाव दीजिए? Speech by Kajal Sah


Watch the video on YouTube here: https://youtu.be/-cnYNU1Vulo

दहेज का यह रूप हमारी संस्कृति का एक आदर्श और मंगलमय पहलू था। लेकिन दहेज आज कन्या-पक्ष के शोषण का माध्यम बन गया है। कहीं यह शोषण नकद धन-राशि के रूप में होता है तो कहीं आभूषणों के रूप में। कहीं लड़के की पढ़ाई के खर्च के रूप में दहेज वसूल किया जाता है, तो कहीं दहेज जगह-जमीन, मोटरकार-स्कूटर या अन्य रूप में लिया जाता है।

दहेज मूल रूप से शादी के दौरान दुल्हन के परिवार द्वारा दूल्हे के परिवार को दिए नकदी, आभूषण, फर्नीचर, संपत्ति और अन्य कीमती वस्तुओं आदि की इस प्रणाली को दहेज प्रणाली कहा जाता है। यह सदियों से भारत में प्रचलित है। दहेज प्रणाली समाज में प्रचलित बुराइयों में से एक है। जीवन-साथी के चुनाव की स्वतन्त्रता-लड़के व लड़कियों को अपना जीवन-साथी स्वयं चुनने की स्वतन्त्रता प्राप्त होने पर अपने आप दहेज प्रथा समाप्त हो जायेगी। प्रेम-विवाह-प्रेम-विवाह की स्वीकृति होने पर भी दहेज की समस्या समाप्त हो जायेगी। 

अन्तर्जातीय विवाह-अन्तर्जातीय विवाह की छूट होने पर विवाह का दायरा विस्तृत होगा। अथर्ववेद के अनुसार उत्तर वैदिक काल में वहतु के रूप में इस प्रथा का प्रचलन शुरू हुआ जिसका स्वरूप मौजूदा दहेज प्रथा से एकदम अलग था. तब युवती का पिता उसे पति के घर विदा करते समय कुछ तोहफे देता था. लेकिन उसे दहेज नहीं, उपहार माना जाता था. मध्य काल में इस वहतु को स्त्री धन के नाम से पहचान मिलने लगी. दहेज के प्रभाव में लड़की अयोग्य वर को सौंप दी जाती है। बेमेल विवाह ज्यादा दिन टिकाऊ नहीं होते। द्वन्द और संघर्षों के बाद तलाक की तौबत आ जाती है। माता-पिता ऋण के बोझ से दब जाते हैं।

 दहेज एक सामाजिक बुराई है जिसके कारण समाज में महिलाओं के प्रति अकल्पनीय यातनाएँ और अपराध उत्पन्न हुए हैं तथा भारतीय वैवाहिक व्यवस्था प्रदूषित हुई है। दहेज शादी के समय दुल्हन के ससुराल वालों को लड़की के परिवार द्वारा नकद या वस्तु के रूप में किया जाने वाला भुगतान है। अगर कोई व्यक्ति इस प्रकार की मांग करता है तो उस व्यक्ति पर दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही होगी। इस अधिनियम की धारा 3 के अनुसार दहेज लेने देने दहेज की मांग करने पर 5 वर्ष तक का कारावास और ₹5000 का जुर्माना हो सकता है। 

यह सजा की अधिकतम अवधि है। इस सिद्धांत में प्रस्तावित है कि दहेज का प्रचलन हमेशा से उच्च जातियों में रहा था, और उच्च जातियों की नकल करने के कारण यह निम्न जातियों में भी फैला। इस नकल का कारण निम्न-जातीय समूहों द्वारा अपनी सामाजिक हैसियत बढ़ाने ('संस्कृतिकरण करने') के लिए उच्च-जातीय समूहों के आचरणों की नकल करने के प्रयास को बताया जाता है। 




Post a Comment

Thanks for messaging us. If you have any doubts. Please let me know.

Previous Post Next Post

Offer

<

Mega Offer